महिला दिवस विशेषः आयशा और खाइंग को क्यों याद रखा जाए
मर्दाना प्रभुत्व वाला हमारा वैश्विक समाज 8 मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ‘ मनाएगा. बड़े आयोजन होंगे, तकरीरों का दौर चलेगा, तालियां बजेंगी,बड़े-बड़े वादे किए जाएंगे और फिर इसकी इतिश्री मानकर आगे बढ़ जाएंगे. मगर हम आपको इसे भूलकर आगे बढ़ने नहीं देंगे ! हम सवाल पूछेंगे संयुक्त राष्ट्र संघ से और दुनियाभर के ‘अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार व अंतरराष्ट्रीय महिला अधिकार संगठनों से ! क्यों मार दी गई हिन्दुस्तान की आयशा व म्यांमार की म्यां थे थे खाइंग ? यह जननी अकेले नहीं मरी. दोनों के पेट में बच्चा पल रहा था. आयशा दहेज केलिए मरने को विवश की गई और 20 वर्षीया म्यां, लोकतंत्र की बहाली केलिए म्यांमार की सड़क पर उतरीं और सैन्य अधिकारियों ने गोली मार दी. आयशा ने खुदकुशी करने से पहले मार्मिक वीडियो जारी की थी व म्यां ने लोकतंत्र बहाली केलिए सड़क पर उतरने से पहले मार्मिक चिठ्ठी लिखी थी. मजमून था-‘‘ यदि मैं मार दी जाऊं तब मेरे शरीर का हर अंग दान कर दिया जाए.’’ दोनों घटना सामान्य घटना नहीं है. पुरूष प्रधान समाज के मुख पर कालिख पोतने वाली और विश्व बिरादरी को झकझोरने वाली है.पहले चर्चा हिन्दुस्तान की बेटी आयशा की. आयशा का पति आरिफ दहेज केलिए उसे प्रताड़ित करता था. ससुराल से मिलने वाला धन अपनी गर्लफ्रेंड पर उड़ाता था. गर्भवती आयशा पति आरिफ के उत्पीड़न से आजिज आकर हंसते-हंसते एक वीडियो जारी करती है और नदी में छलांग लगाकर जान दे देती है. यह घटना भी एक आम समस्या बनकर रह जाती, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी ने न सिर्फ अपने कौम, बल्कि हर कौम में फैले इस गंदगी पर लानत-मलामत की. आम तौर पर राजनीति में सिर्फ मुस्लिम कौम की राजनीति करने वाले असदुद्दीन इस घटना पर वीडियो जारी कर हीरो बन गए. अब बात म्यांमार की. क्रूरता पर उतरी म्यांमार की सेना ने 20 साल की लड़की के सिर में मारी गोली मार दी और 10 दिन तक मौत से लड़ने के बाद दम तोड़ा दम.म्या थे थे खाइंग नाम की लड़की को पिछले हफ्ते पुलिस ने सिर में गोली मार दी थी. म्यांमार में लोकतंत्र बहाली को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन का वह नेतृत्व कर रही थी. खाइंग मात्र 20 वर्ष की थी. म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ आवाज को कुचलने के लिए सेना क्रूरता पर उतर आई. प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें ही नहीं, उन पर गोलियां चलाने से भी सैनिक पीछे नहीं हटे रहे हैं. प्रदर्शनकारियों में से एक 20 साल की युवती की सिर में गोली लगने से मौत हो गई. म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की सरकार को गिराने के बाद 1 फरवरी को म्यांमार सेना ने तमाम नेताओं को हिरासत में ले लिया था. उसके सेे विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जिसे कुचलने के लिए सेना हर तरह की क्रूरता बरत रही है. अमेरिका समेत तमाम देश तख्तापलट का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सेना पीछे हटने को तैयार नहीं. ज्ञातव्य है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट व संकट पैदा करने का खेल चीनी प्रमुख शी जिनपिंग खेल रहा है. आंग सान सू ने म्यांमार में चल रही चीन के तानाशाह जिनपिंग के 38 प्रोजेक्ट पर अवरोध पैदा कर दिया था. यह प्रोजेक्ट म्यांमार को गुलामी के कगार पर ढकेलने वाले हैं. सू की ने म्यांमार के दूरगामी हित के मद्देनजर रोक दिया था. आंग सान सू की केलिए यह कदम सैन्य तख्तापलट व उनके 75 कैबिनेट सहयोगियों की नजरबंदी का कारण बन गया. सू की विश्व की लोकतंत्र समर्थक सबसे चर्चित नेता है जिन्होंने म्यांमार में लोकतंत्र बहाली केलिए अपने जीवन का आधा से अधिक हिस्सा काल- कोठरी में गुजार दिया. तख्तापलट का खलनायक म्यांमार का सैन्य जनरल मिंग उन हलाइन जो रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानोंके उत्पीड़न व दमन का मुख्य जिम्मेवार है, ने म्यांमार के लोकतंत्र समर्थकों पर जिस तरह गोलियां चलवा रहा है यह घटना सम्पूर्ण विश्व केलिए चिन्ताजनक बन गया है. अमेरिका व भारत समेत संपूर्ण विश्व ने इस पर चिन्ता जताई, लेकिन यह नाकाफी है. संयुक्त राष्ट्र संघ को इस मामले में पहल करनी होगी. म्यांमार में ‘ पीस कीपिंग फोर्स ‘ भेजकर दमन चक्र रोकवाना होगा. तब शायद किसी और महिला को जान न गवानी पड़े.